150+ Best Love Shayari in Hindi
जिस प्रकार एक मरीज को एक दवा की जरूरत होती है इस तरह एक टूटे हुए दिल के मरीज को best shayari की जरूरत होती है शायरी केवल शायरी नहीं शराब की तरह एक नशा है इस 150+ Best Love Shayari in Hindi के माध्यम से हम दूसरे से अधिक शायरी पढ़ेंगे और best friend shayari, best love shayari in hindi, best shayari in hindi इन विषयों पर भी हम शायरी पढ़ेंगे यह शायरी बड़े-बड़े शायरों द्वारा बताइए तो चलिए इस Best Love Shayari in Hindi शायरी संग्राम हम आगे बढ़ते हैं और देखते हैं बेस्ट शायरी ।
Best Love Shayari in Hindi

ये ख़ला- है अर्शबरी नहीं, कहाँ पाँव रक्खू ज़मीं नहीं
तेरे दर पे सजदे का शौक़ है, जो यहाँ नहीं तो कहीं नहीं

कोई नग़मा धूप के गाँव सा , कोई नग़मा शाम की छाँव सा
ज़रा इन परिन्दों से पूछना ये कलाम किस का कलाम है

मैं सुनहरे पत्तों का पेड़ हूँ मैं ख़िज़ाँ का हुस्नो वक़ार हूँ
मेरे बाल चाँदी के हो गये, मेरे सर पे धूप ठहर गई

कई पेड़ धूप के पेड़ थे तेरी रहमतों से हरे रहे
मेरे नाम आग के फूल थे मेरी झोलियों में भरे रहे

चल – चल के रुके, रुक -रुक के चले, जो दिल ने कहा वो हमने किया
सब की मानी , पर शाम ढले, जो दिल ने कहा वो हमने किया

मुझे पतझड़ों की कहानियाँ न सुना सुना के उदास कर
तू ख़िज़ाँ का फूल है मुस्कुरा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया

किसी बुततराश ने शहर में मुझे आज कितना बदल दिया
मेरा चेहरा मेरा नहीं रहा , ये ज़बीं भी मेरी ज़बीं नहीं

जब तक निगाहे- रश्क का सीना दुखा न था ,
सहरा में कोई लालए- सहरा- खिला न था ।

बड़े शौक़ से इन्हीं पत्थरों को शिकम से बाँध के सो रहूँ
मुझे माले मुफ़्त हराम है मुझे दे तो रिज़के-हलाल दे

वो काली आँखें शहर में मशहूर थीं बहत ,
तब उनपे मोटे शीशों का चश्मा चढ़ा न था ।
मस्जिदों में उनके दामन पर फ़रिश्तों की नमाज़
घर में रखते हैं कनीजें बादशाहों की तरह
आँसुओं में रची ख़ुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह
Best shayari in hindi
चाहे कोई मौसम हो , दिन गई बहारों के फिर से लौट आयेंगे
एक फूल की पत्ती अपने होंठ पर रखकर मेरे होंठ पर रख दो
बेसदा- ग़ज़लें न लिख वीरान राहों की तरह
ख़ामुशी अच्छी नहीं आहों- कराहों की तरह
लोग होते हैं यहाँ दो – चार घंटों के लिए
ज़िन्दगी बेख़्वाब है मसरूफ़ राहों की तरह
तुमने दिल्ली देखी, पर दिल्ली का दुख देखा नहीं
ग़म हुकूमत कर रहे हैं कज- कुलाहों की तरह
मेरा तन दरख़्तों में इसलिए सुलगता है, सख़्त धूप सहता है
क्या पता तुम आ निकलो और मेरे कांधों पर थक के अपना सर रख दो
मैं उस ज़मीन का दीदार करना चाहता हूँ
जहाँ कभी भी ख़ुदा का ग़ज़ब नहीं होता
वो कलाम जिन से छतें उड़ीं वहीं शामियानों में दफ़्न हैं
तेरे शेर दिल में उतर गये जो खरे थे सिक्के खरे रहे
मैं साहिबे -ग़ज़ल था हसीनों की बज़्म4 में ,
सर पे घनेरे बाल थे, माथा खुला न था ।
जब वो आएगा, ज़माना आएगा
हम अकेले हैं , अकेले क्या करें
दूर जायें, दूर से बातें करें
पास आयें, पास से देखा करें
सात सन्दूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इन्साँ को मुहब्बत की ज़रूरत है बहुत
मुझे जानकर कोई अनजबी वो दिखा रहे हैं गली गली
इसी शहर में मेरा घर भी था , ये कभीकिसी को ख़बर न हो
कहीं मस्जिदों में शहादतें कहीं मंदिरों में अदालतें
यहाँ कौन करता है फैसला ये कभीकिसी को ख़बर न हो
वो तमाम दुनिया के वास्ते जो मुहब्बतों की मिसाल था
वही अपने घर में था बेवफ़ा, ये कभीकिसी को ख़बर न हो
हर क़दम आँखें बिछी हैं मैं कहाँ पावँ धरूँ
रास्ता रोके हैं शालें तेरी बाँहों की तरह
कई लोग जान से जायेंगे मरे क़ातिलों को तलाश में
मेरे क़त्ल में मेरा हाथ था , ये कभी किसी को ख़बर न हो
वो बझे घरों का चराग़ था ये कभी किसी को ख़बर न हो
उसे ले गई है कहाँ हवा, ये कभी किसी को ख़बर न हो
मेरे फ़िक्रोफ़न तेरी अंजुमन, न उरूज था न ज़वाल है
मेरे लब पे तेरा ही नाम था मेरे लब पे तेरा ही नाम है
यहाँ एक बच्चे के खून से जो लिखा हुआ है उसे पढ़ें
तेरा कीर्तन अभी पाप है अभी मेरा सजदा हराम है
मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियों ने बुझा दिये
मगर एक जुगनू हवाओं में अभी रोशनी का इमाम है
बड़े शौक़ से मेरा घर जला कोई आँच तुझ पे न आयेगी
ये जुबाँ किसी ने ख़रीद ली , ये क़लम किसी का गुलाम है
पके गेहूँ की ख़ुशबू चीखती है
बदन अपना सुनहरा हो चुका है
तू बेवफ़ा नहीं है मगर बेवफ़ाई कर
उसकी नज़र में रहने का कुछ सिलसिला भी हो
मुझेलिखने वाला लिखे भी क्या , मुझे पढ़ने वाला पढ़े भी क्या
जहाँ मेरा नाम लिखा गया वहीं रोशनाई । उलट गई
पलकों से आँसुओं की महक आनी चाहिए ख़ाली है आसमान अगर बदलियाँ न हों
तू जानता नहीं मेरी चाहत अजीब है
मुझ को मना रहा है कभी ख़ुद ख़फ़ा भी हो
दिल की ख़ामोशी पे न जाना,
राख के नीचे आग दबी है ।
ख़ानक़ाहों2 में ख़ाक़ उड़ती है
उर्दू वालों के कैम्पस की तरह
मौत की वादियों से गुज़रूँगा
मैं पहाड़ों की एक बस की तरह
कहीं पलकें ओस से धो गई, कहीं दिल को फूलों से भर गई
तेरी याद सोलह सिंगार है, जिसे छू दिया वो सँवर गई
रात सर पर लिये हूँ जंगल में
रास्ते की ख़राब बस की तरह
आत्मा बेज़बान मैना है
और माटी का तन क़फ़स की तरह
मुख़्तसर बातें करो, बेजा- वज़ाहत मत करो
इस नई दुनिया के बच्चों में ज़हानत- है बहुत
किसलिए हम दिल जलायें, रात-दिन मेहनत करें
क्या ज़माना है, बुरे लोगों की इज़्ज़त है बहुत
वो मोहब्बत की तरह पिघलेगी
मैं भी मर जाऊँगा हवस की तरह
दिल पे छाया रहा उमस की तरह
एक लम्हा था सौ बरस की तरह
बड़ी आग है, बड़ी आँच है, तेरे मैकदे के गुलाब में
कई बालियाँ, कई चूड़ियाँ यहाँ घुल रही हैं शराब में
हक़ीक़त सुर्ख मछली जानती है
समन्दर कितना बूढ़ा देवता है
मुझे इन नीली आँखों ने बताया
तुम्हारा नाम पानी पे लिखा है
अन्धेरी रात का तन्हा मुसाफ़िर
मेरी पलकों पे अब सहमा हुआ है
समेटो और सीने में छुपा लो
ये सन्नाटा बहुत फैला हुआ है
हमारी शाख़ का नौरोज़ पत्ता
हवा के होंठ अक्सर चूमता है
बद्र साहिब की ग़ज़ल पर रात हम रोये बहुत
जश्ने- ग़म दिल ने मनाया ख़ानक़ाहों की तरह
है ज़रूर उसमें भी मसलहत4 , वो जो हँस के पूछे है खैरियत
कि मुहब्बतों में ग़रज़ न हो , नहीं ऐसा प्यार कहीं नहीं
लोग ज़िम्मेदारियों की कैद से आज़ाद हैं
शहर की मसरूफियत में घर से फुर्सत है बहुत
धूप से कहना मुझे किरनों का कम्बल भेज दे
गुर्बतों का दौर है, जाड़े की शिद्दत है बहुत
कहीं मालो ज़र के वज़ीर थे कहीं इल्मो फ़न के अमीर थे
वले हम भी ऐसे फ़क़ीर थे जो हमेशा उन से परे रहे
मेरे दिल में दर्द के पेड़ हैं यहाँ कोई खौफ़े ख़िजाँ नहीं
ये दरख़्त कितने अजीब थे सभी मौसमों में हरे रहे
मटकी, माखन, गागर छन- छन , रिमझिम -रिमझिम बरसे सावन
सुन्दर- सुन्दर गोदों में पले, जो दिल ने कहा वो हमने किया
मैं भी इक शजर ही हूँ जिसपे आज तक शायद फूल- फल नहीं आए
तुम मेरी हथेली पर एक रात चुपके से बर्फ़ के समर2 रख दो
सब नज़र का फ़रेब होता है
कोई होता नहीं किसी की तरह
अच्छी आँखें सच्चे दिल पूजा करें
आ सनम – ख़ानों में हम सजदा करें
फूल जैसे खूबसूरत ज़ख़्म हैं
ज़िन्दगी से क्या गिला -शिकवा करें
फल – फूल रखें उन क़दमों पर जो सूरज के घर जाते हैं
ये बात कभी उतरी न गले , जो दिल ने कहा वो हमने किया
मैं उदासियाँ न सजा सकूँ कभी जिस्मो- जाँ के मज़ार पर
न दिये जलें मेरी आँख में मुझे इतनी सख़्त सज़ा न दे
चाहे कोई मौसम हो , दिन गई बहारों के फिर से लौट आयेंगे
एक फूल की पत्ती अपने होंठ पर रखकर मेरे होंठ पर रख दो
रोशन – रोशन शाख़ों पे खिले , जब शाम ढली ताक़ों में जले
मोती चमके पलकों के तले, जो दिल ने कहा वो हमने किया
अजनबी पेड़ों के साये में मुहब्बत है बहुत
घर से निकले तो ये दुनिया खूबसूरत है बहुत
मैं ग़ज़ल कहूँ मैं ग़ज़ल पहूँ मुझे दे तो हुस्ने ख़याल दे
तेरा ग़म ही है मेरी तरबिअत , मुझे दे तो रंजो मलाल दे
मौसम के दीनो- मज़हब को हमने अपना मज़हब जानाफूलों के बदन पलकों से मले, जो दिल ने कहा वो हमने किया
वो ख़त पागल हवा के आँचलों पर
किसे तुम ने लिखा था , याद होगा
मुस्कुराता – सदा कोई शेर कहो
ज़िन्दगी की हँसी- खुशी की तरह
खूबसूरत , ज़हीन, बच्चों सा
वो है इक्कीसवीं सदी की तरह
ये मज़ा लेने का मौसम फिर कहाँ
रहमतों की रात है, सजदा करें
आओ जानाँ ! 2 बादलों के साथ- साथ
धूप जाती है कहाँ पीछा करें
पलकाँ-पलकाँ रात भर शबनम चुनें
क़तरा – क़तरा जोड़ कर दरिया करें
उस मोड़ पे हम दोनों कुछ देर बहुत रोये
जिस मोड़ से दुनिया को इक रास्ता जाता है
दोनों से चलो पूछे उस को कहीं देखा है
इक क़ाफ़ला आता है इक क़ाफ़ला जाता है
धूप नई पोशाकें बदले मौसम की कश्ती पर तैरे
राख का कुर्ता, धूल की लुंगी, अपना भेस पुराना बाबा तनहाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अनार
आईना बात करने पे मजबूर हो गया
कोई फ़र्क शाहो गदा नहीं कि यहाँ किसी को बक़ा4 नहीं
ये उजाड़ महलों की सुन सदा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया
तुझे ऐतबारो यक़ीं नहीं , नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं
न मलाल कर मेरे साथ आ , जो गुज़र गया सो गुज़र गया
सिंगारदान में रहते हो आईने की तरह
किसी के हाथ से गिरकर बिखर गये होते
दो काले होंठ जाम समझकर चढ़ा गये,
वो आब जिससे मैंने वजू तक किया न था ।
जब कभी बादलों में घिरता है
चाँद लगता है आदमी की तरह
सर – सर हवा में सरके है संदल की ओढ़नी
झुक – झुक पलक को चूमे है काजल की ओढ़नी
मुद्दत के बाद धूप की खेती हरी हुई
अब के बरस बरस गई बादल की ओढ़नी
मेरा शायराना सा ख़्वाब थी , जिसे लोग कहते हैं ज़िन्दगी
इन्हीं नाख़ुदाओं के ख़ौफ़ से, वो चढ़ी नदी में उतर गई
तेरी आरज़ , तेरी जुस्तजू में भटक रहा था गली गली
मेरी दास्ताँ तेरी जुल्फ़ है, जो बिखर बिखर के सँवर गई
उन्हीं दो घरों के क़रीब ही कहीं आग ले के हवा भी थी
न कभी तुम्हारी नज़र गई न कभी हमारी नज़र गई ।
न ग़मों का मेरे हिसाब ले, न ग़मों का अपने हिसाब दे
वो अजीब रात थी क्या कहें , जो गुज़र गई सो गुज़र गई
वहीं दर्दो- ग़म का गुलाब है, जहाँ कोई ख़ानाख़राब है
जिसे झुक के चाँद न चूम ले, वो मुहब्बतों की ज़मीं नहीं
तेरी जुल्फ़ जुल्फ़ सजाऊँ क्या , तुझे ख़्वाब ख़्वाब दिखाऊँ क्या
मैं सफ़र से लौट के आऊँगा, मुझे ख़ुद भी इसका यक़ीं नहीं
अब हम इस 150+ Best Love Shayari in Hindi शायरी के अंत में आ गए हैं इस शायरी आलेख में हमने best friend shayari, best love shayari in hindi, Best shayari in hindi पर शायरी अच्छी योर शायरी बड़े-बड़े शायरों द्वारा बताई गई है अगर आपको यह Best Love Shayari in Hindi शायरी संग्रह पसंद आया हो तो जरूर आपके फ्रेंड और फैमिली में शेयर कीजिए और Best Love Shayari in Hindi को आपकी सोशल मीडिया पर भी इसे जरूर शेयर कीजिए
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