125+ Best Sad shayri in hindi
इस shayri in hindi संग्रह मे हम 125+ से अधिक love shayari, motivation shayari, attitude shayari और sad shayri पढ़ेंगे ।
Sad shayri in hindi

अंधेरे चारों तरफ सांय सांय करने लगे चिराग़ हाथ उठा कर दुआएं करने लगे
तरक़्क़ी कर गये बीमारियों के सौदागर ये सब मरीज़ हैं जो अब दुआएं करने लगे
ज़मीं पर आ गये आंखों से टूट कर आंसू बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएं करने लगे
झुलस रहे हैं यहां छांव बांटने वाले वह धूप है के शजर इल्तिजाएं करने लगे
अजीब रंग था मजलिस का, खूब महफ़िल थी सफ़ेदपोश उठे कांय कांय करने लगे

पांव से आसमान लिपटा है रास्तोंसे मकान लिपटा है
रोशनी है तेरे ख़यालों की मुझसे रेशम का थान लिपटा है
कर गये सब किनारा कश्ती से सिर्फ़ इकबादबानलिपटाहै
दे तवानाईयां मेरेमाबूद जिस्म से खानदान लिपटा है
और मैं सुन रहा हूँ क्या – क्या कुछ मुझसे एक बेजुबान लिपटा है
सारीदुनिया बुला रही है मगर मुझसे हिन्दुस्तान लिपटा है

पुराने शहरों के मन्ज़र निकलने लगते हैं ज़मीं जहां भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूं सदफ़± मोतियों के चक्कर में मगर यहां भी समन्दर निकलने लगते हैं
हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मन्ज़र सितारे धूप पहन कर निकलने लगते हैं
बुलन्दियों का तसव्वुर± भी खूब होता है कभी – कभी तो मेरे पर निकलने लगते हैं
बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौला क़रीबी दोस्त भी बच कर निकलने लगते हैं

ये दुनिया जस्त ै भर होगी हमारी यहां कैसे बसर होगी हमारी
ये काली रात होगी ख़त्म किस दिन न जाने कब सहर होगी हमारी
इसी उम्मीद पर येरतजगे हैं किसी दिन रात भर होगी हमारी
दर-ए-मस्जिद पे कोई शै पड़ी है दुआए बेअसर होगी हमारी
चले हैं गुमरही को घर से लेकर यही तो हमसफ़र होगी हमारी
न जाने दिन कहां निकलेगा अपना न जाने शब किधर होगी हमारी

दुआ माँगेंगे कब तब आसमां से ज़मीं कब मोअतबर होगी हमारी
ये दुनिया कहकशां कहती है जिसको कभी ये रहगुज़र होगी हमारी
चुभे हैं किस क़दर तलवों में कंकर सितारों पर नज़र होगी हमारी
बिछड़ने में ही शायद अब मज़ा है ख़ुशीमेंआंखतरहोगी हमारी

सिर्फ़ ख़जर ही नहीं आंखों में पानी चाहिये ऐ ख़ुदा, दुश्मन भी मुझको ख़ानदानी चाहिये
मैंने अपनी खुश्क आंखों से लहू छलका दिया इक समन्दर कह रहा था मुझको पानी चाहिये
शहर की सारी अलिफ़ लैलाएं बूढ़ी हो चुकीं शाहजादे को कोई ताज़ा कहानी चाहिये
मैंने ऐ सूरज तुझे पूजा नहीं समझा तो है मेरे हिस्से में भी थोड़ी धूप आनी चहिये
मेरी क़ीमत कौन दे सकता है इस बाज़ार में तुम ज़ुलेखा’ हो, तुम्हें क़ीमत लगानी चाहिये
ज़िन्दगी है एक सफ़र और ज़िन्दगी की राह में ज़िन्दगी भीआये तो ठोकर लगानी चाहिये

इससे पहले के हवा शोर मचाने लग जाए मेरे अल्लाह मेरी खाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते हैं कई ख़्वाब मेरी आंखों को काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाए
तो ज़रूरी है कि मैं मिस्र से हिजरत कर जाऊं जब ज़ुलेखा ही मेरे दाम घटाने लग जाए साल भर ईद का रस्ता नहीं देखा जाता वह गले मुझसे किसी और बहाने लग जाए
मेरी कोशिश है कि हर शाम ये ढलता सूरज शब की दहलीज़ पे एक शमा जलाने लग जाए
यह आईना फ़साना हो चुका है तुझेदेखे ज़माना हो चुका है
वतन के मौसमों अब लौट आओ तुम्हें देखेज़मानाहो चुका है
दवाएं क्या, दुआ क्या, बददुआ क्या सभीकुछताजिरानाहोचुका है
अबआंसूभीपुरानेहो चुके हैं समन्दरभीपुरानाहोचुका है
चलोदीवाने – ख़ासअबकामआया परिन्दोंकाठिकानाहोचुका है
वहीवीरानियांहैं शहर – ए – दिलमें यहांपहलेभीआना होचुका है
तेरी मसरूफ़ियतहम जानते हैं मगर मौसमसुहानाहो चुका है
मोहब्बत में ज़रूरी हैंवफ़ाएं यह नुस्ख़ाअबपुरानाहो चुका है
चलो अबहिज्र का भी हम मज़ा लें बहुत मिलनामिलानाहो चुका है
हज़रों सूरतें रोशन हैं दिल में
नज़ारा देखिये कलियों के फूल होने का यही है वक्त दुआएं क़बूलहोनेका
उन्हें बताओं के ये रास्ते सलीब के हैं जो लोग करते हैं दावा रसूल होने का
तमाम उम्र गुज़रने के बाददुनिया में पता चला हमें अपनेफ़ुज़ूल होनेका
उसूल वाले हैं बेचारे इन फ़रिश्तों ने मज़ा चखा ही नहीं बे उसूल होने का
है आसमां से बुलन्द उसका मर्तबा जिसको शर्फ़ है आप के कदमों की धूल होने का
चलो फ़लक पे कहीं मन्ज़िलें तलाश करें ज़मीं पे कुछ नहीं हासिल हसूल होने का
शराब छोड़ दी तुमने कमाल है ठाकुर मगरयेहाथ में क्या लाल – लालहै ठाकुर
कई मलूल’ से चेहरे तुम्हारे गाँव में हैं सुना है तुम को भी इस का मलाल है ठाकुर ख़राबहालों का जो हाल था ज़माने से तुम्हारे फैज़ से अब भी बहाल है ठाकुर
इधर तुम्हारेख़ज़ानेजवाबदेतेहैं उधर हमारीअना का सवाल है ठाकुर
किसी गरीब दुपट्टे का क़र्ज़ है उस पर तुम्हारे पास जो रेशम की शाल है ठाकुर
दुआ को नन्हे गुलाबों ने हाथ उठाये हैं बस अबयहीं से तुम्हारा ज़वाल है ठाकुर
मिसाल प्यास का यूं हल हो जाये जितनाअमृत है हलाहल हो जाये
शहर-ए-दिलमेंहैअजब सन्नाटा तेरी यादआये तो हलचल हो जाये
ज़िन्दगी एक अधूरी तस्वीर मौतआए तोमुकम्मल हो जाय
और एक मोर कहीं जंगलमें नाचते – नाचतेपागलहोजाये
थोड़ीरौनक है हमारेदमसे वरनाये शहर तोजंगल हो जाये
फिर ख़ुदा चाहे तोआंखें लेले बसमेराख़्वाब मुकम्मल हो जाये
धर्म बूढ़े हो गये मज़हब पुराने हो गये ऐ तमाशागरतेरे करतबपुराने हो गये
आज कलछुट्टी के दिन भी घर पड़े रहते हैं हम शाम, साहिल, तुम,समन्दर सब पुराने हो गये
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कैसी चाहत, क्या मुहब्बत, क्या मुरव्वत क्या ख़ुलूस इन सभी अलफ़ाज़ के मतलब पुराने हो गये
रेंगते रहते हैं हम सदियों से सदियां ओढ़कर हम नये थे ही कहां जो अबपुराने हो गये
आस्तीनों में वही खंजर वही हमदर्दियां हैं नये अहबाब लेकिन ढबपुरानेहो गये
एक ही मर्कज़ पे आंखें जंग आलूदा हुईं चाक पर फिर-फिर के रौज़-ओ-शब पुराने हो गये
love shayari
यह आईना फ़साना हो चुका है तुझेदेखे ज़माना हो चुका है
वतन के मौसमों अब लौट आओ तुम्हें देखेज़मानाहो चुका है
दवाएं क्या, दुआ क्या, बददुआ क्या सभीकुछताजिरानाहोचुका है
अबआंसूभीपुरानेहो चुके हैं समन्दरभीपुरानाहोचुका है
चलोदीवाने – ख़ासअबकामआया परिन्दोंकाठिकानाहोचुका है
वहीवीरानियांहैं शहर – ए – दिलमें यहांपहलेभीआना होचुका है
तेरी मसरूफ़ियतहम जानते हैं मगर मौसमसुहानाहो चुका है
मोहब्बत में ज़रूरी हैंवफ़ाएं यह नुस्ख़ाअबपुरानाहो चुका है
चलो अबहिज्र का भी हम मज़ा लें बहुत मिलनामिलानाहो चुका है
हज़रों सूरतें रोशन हैं दिल में
पुराने दांव पर हर दिन नये आंसू लगाता है वह अब भी एक फटे रूमाल पर ख़ुश्बू लगाता है
उसे कह दो के ये ऊंचाइयां मुश्किल से मिलती हैं वह सूरज के सफ़र में मोम के बाज़ू लगाता है
मैं काली रात के तेज़ाब से सूरज बनाता हूं मेरी चादर में ये पैबन्द एक जुगनूं लगाता है
यहां लक्ष्मण की रेखा है न सीता है मगर फिर भी बहुत फेरे हमारे घर के एक साधु लगाता है
न जाने ये अनोखा फ़र्क़ उस में किस तरह आया वह अब कॉलर में फूलों की जगह बिच्छू लगाता है
अन्धेरे और उजाले में ये समझौता ज़रूरी है निशाना मैं लगाता हूं ठिकाने तू लगाता है
हवा ख़ुद अब के हवा के खिलाफ़ है जानी दीये जलाओ, कि मैदान साफ़ है जानी
हमें चमकती हुई सर्दियों का ख़ौफ़ नहीं हमारे पास पुराना लिहाफ़ है जानी
वफ़ा का नाम यहां हो चुका बहुत बदनाम मैं बेवफ़ा हूं मुझे एतराफ़ है जानी
है अपने रिश्तों की बुनियाद जिन शराएत पर वहीं से तेरा मेरा इख़्तिलाफ़ – है जानी
वह मेरी पीठ में खंजर उतार सकता है के जंग में तो सभी कुछ मुआफ़ है जानी
मैं जाहिलों में भी लहजा बदल नहीं सकता मेरी असास यही शीन क़ाफ़ है जानी
यह आईना फ़साना हो चुका है तुझेदेखे ज़माना हो चुका है
वतन के मौसमों अब लौट आओ तुम्हें देखेज़मानाहो चुका है
दवाएं क्या, दुआ क्या, बददुआ क्या सभीकुछताजिरानाहोचुका है
अबआंसूभीपुरानेहो चुके हैं समन्दरभीपुरानाहोचुका है
चलोदीवाने – ख़ासअबकामआया परिन्दोंकाठिकानाहोचुका है
वहीवीरानियांहैं शहर – ए – दिलमें यहांपहलेभीआना होचुका है
तेरी मसरूफ़ियतहम जानते हैं मगर मौसमसुहानाहो चुका है
मोहब्बत में ज़रूरी हैंवफ़ाएं यह नुस्ख़ाअबपुरानाहो चुका है
चलो अबहिज्र का भी हम मज़ा लें बहुत मिलनामिलानाहो चुका है
हज़रों सूरतें रोशन हैं दिल में
दो गज़ टुकड़ा उजले उजले बादल का याद आता है एक दुपट्टा मलमल का
शहर के मंज़र देख के चीखा करता है मेरे अन्दर इक सन्नाटा जंगल का
बादल हाथी घोड़े ले कर आते हैं लेकिन अपना रस्ता तो है पैदल का
मुझ से आकर मेरी ज़ुबां में बात करे लिखता रहता है जो खाता हर पल काआते जाते अन्धी आंखें पढ़ती हैं
हर पत्थर पर नाम लिखा है मखमल का
खुले-खुले से रहने के हम आदी हैं ध्यान किसे है दरवाज़े की सांकल का
देखें किस दिन पहुंचोगे तुम तारों तक ऊंचाई तक एक रस्ता है दलदल का
गीला दामन गीली-गीली आंखें हैं हर मौसम में एक मौसम है जल-थल का
मुझको अपने रंग में ढाला दुनिया ने सांप हुआ हूं खुद ही अपने सन्दल का
देखें कितना बाज़ारों में आए उछाल हम सोना हैं और ज़माना पीतल का
हवा ख़ुद अब के हवा के खिलाफ़ है जानी दीये जलाओ, कि मैदान साफ़ है जानी
हमें चमकती हुई सर्दियों का ख़ौफ़ नहीं हमारे पास पुराना लिहाफ़ है जानी
वफ़ा का नाम यहां हो चुका बहुत बदनाम मैं बेवफ़ा हूं मुझे एतराफ़ है जानी
है अपने रिश्तों की बुनियाद जिन शराएत पर वहीं से तेरा मेरा इख़्तिलाफ़ – है जानी
वह मेरी पीठ में खंजर उतार सकता है के जंग में तो सभी कुछ मुआफ़ है जानी
मैं जाहिलों में भी लहजा बदल नहीं सकता मेरी असास यही शीन क़ाफ़ है जानी
नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में उजालेपांवपटकनेलगे हैं पानीमें
ये कोई और ही किरदार है तुम्हारी तरह तुम्हाराज़िक्र नहीं है मेरीकहानी में
अब इतनी सारी शबों का हिसाब कौन रखे बहुतसवाबकमायेगये जवानी में
चमकता रहताहै सूरजमुखी में कोई और महकरहा हैकोईऔररातरानीमें
येमौज-मौजनई हलचलें सी कैसी है येकिस ने पांव उतारे उदासपानी में
मैं सोचता हूं कोई और कारोबार करूं क़िताबकौनखरीदेगाइसगिरानी में
motivation shayari
तूफ़ां तो इसशहरमें अक्सर आताहै देखें अबकिस का नम्बर आताहै
यारों केभी दांतबहुत ज़हरीले हैं हमकोभी सांपोंका मंतरआताहै
सूखे बादल होंठों पर कुछलिखतेहैं आंखोंमेंसैलाबका मंज़र आता हैतक़रीरों मेंसब केजौहर खुलते हैं अन्दरजो पलता है बाहरआताहै
बच कर रहना, एक कातिल इस बस्ती में काग़ज़ की पोशाकपहन कर आता है
बोता हैवह रोज़ताफ़्फुन ज़हनोंमें जो कपड़ों परइत्र लगा करआताहै
रहमत मिलने आती हैपरफैलाये पलकोंपर जब कोईपयम्बरआता है
सूख चुका हूं फिर भी मेरे साहिलपर पानीपीनेरोज़ समन्दर आता है
उन आंखों की नींदें गुम हो जाती हैं जिनआंखों को ख़्याब मयस्सर आताहै
टूट रही है हर दिन मुझ में एक मस्जिद इसबस्ती में रोज़ दिसम्बरआता है
चराग़ों का घराना चल रहा है हवासेदोस्तानाचल रहा है
जवानी की हवाएँ चलरही है बुजुर्गों का खज़ानाचल रहा है मेरी गुमगुश्तगीपरहंसनेवालों मेरेपीछेज़मानाचलरहाहै
अभी हम ज़िन्दगीसेमिलनपाये तआरुफ़ ग़ायबाना चल रहा है
नये किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटकपुराना चल रहा हैवही दुनिया वहीसांसेंवही हम वहीसब कुछ पुरानाचल रहा है
ज़्यादा क्या तवक्को’ हो गज़ल से मियां, बसआबओदाना चल रहा है
समन्दर से किसी दिन फिर मिलेंगे अभी पीनापिलाना चलरहा है
वही महशर± वही मिलने का वादा वही बूढ़ा बहाना चल रहाहै
यहां एक मदरसा होता था पहले मगरअबकारख़ाना चल रहा है
हमें दिन रात मरना चाहिए था मियां कुछ गुज़रना चाहिए था
बहुत ही ख़ूबसूरत है यह दुनिया यहां कुछ दिन ठहरना चाहिए था
मुझे तूने किनारे से है जाना समन्दर में उतरना चाहिए था
यहां सदियों से तारीकी जमी है मेरी शब को सहरना चाहिए था
अकेली रात बिस्तर पर पड़ी है मुझे इस दिन से डरना चाहिए था
डुबो कर मुझ को ख़ुश होता है दरिया उसे तो डूब मरना चाहिए था
किसी से बेवफाई की है मैंने मुझे इक़रार करना चाहिए था
यह देखो किरचियां हैं आइनों की सलीके से संवरना चाहिए था
किसी दिन उसकी महफ़िल में पहुंच कर गुलों में रंग भरना चाहिए था
फ़लक पर तबसरा± करने से पहले ज़मीं का क़र्ज़ उतरना चाहिए था
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