100+ Best Love Ghalib Shayari

100+ Best Love Ghalib Shayari

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Love Ghalib Shayari

Ghalib Shayari

चाँद चेहरा , जुल्फ़ दरिया , बात खुशबू, दिल चमन ,
इक तुझे देकर खुदा ने, दे दिया क्या – क्या मुझे ।

Mirza Ghalib Shayari

हमसे मजबूर का गुस्सा भी अजब बादल है ।
अपने ही दिल से उठे अपने ही दिल पर बरसे ।

mirza ghalib ki shayari

साहिल पे रुक गए थे जरा देर के लिए ,
आँखों से दिल में कितने समंदर उतर गए ।

2 line shayari to impress a girl

तीन समंदर, दो सहरा उसके आगे,
नागिन जैसी एक लकीर चमकती है

shayari

हमसफ़र ने मेरा साथ छोड़ा नहीं,
अपने आँसू दिए रास्ते के लिए ।

attitude shayari

उसे शुहरत ने तन्हा कर दिया है,
समंदर है मगर प्यासा बहुत है ।

motivational shayari

वो खुद हारे हुए हैं ज़िन्दगी से ,
जो दुनिया पर हुकूमत कर रहे हैं ।

motivation shayari

बात क्या है कि मशहर लोगों के घर ,
मौत का सोग होता है त्यौहार सा ।

love shayari

इसे आँसू का इक क़तरा न समझो,
कुआँहै और ये गहरा बहुत है ।

sad shayari

उसे शुहरत ने तन्हा कर दिया है ,
समंदर है मगर प्यासा बहुत है ।

2 line shayari to impress a girl

आहटें चिलमनों से पूछती हैं ,
कैद कब तक रहेंगे हम बाबा ।

उसकी बातों के गुलो- लाला पे शबनम बरसे ,
सबको अपनाने का उस शोख़ को जादू आये।

कपकपाती है शाम सीने में ,
ज़हर का एक जाम और सही ।

कुर्सियों को सुनाइए ग़ज़लें ,
क़त्ल की एक शाम और सही ।

ज़िन्दगी के उदास क़िस्से हैं ,
एक लड़की का नाम और सही ।

चाँद अक्सर उदास रहता है,
उसको है किसका ग़म बाबा ।

काग़ज़ी जूएशीर2 लाये हैं ,
अपना तेशा यही क़लम बाबा ।

अब हुई दास्ताँ रक़म बाबा,
उँगलियाँ हो गईं क़लम बाबा ।

पतझड़ों की कहानियाँ पढ़ना,
सारा मंज़रकिताब सा होगा ।

कितना दुश्वार था सफ़र उसका,
वो सरे – शाम सो गया होगा ।

आस होगी न आसरा होगा,
आने वाले दिनों में क्या होगा ।

अब भी चहरा चराग़ लगता है ,
बुझ गया है मगर चमक है वही ।

हम हवेली में अब कोई रहता नहीं ,
चाँद निकला किसे देखने के लिए ।

ज़िन्दगी और मैं दो अलग तो नहीं,
मैंने सब फूल – काँटे इसी से लिए ।

शहर में अब मेरा कोई दुश्मन नहीं,
सबको अपना लिया मैंने तेरे लिए ।

मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन ,
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा ।
नाम हमने लिखा था आँखों में ,
आँसुओं ने मिटा दिया होगा ।

आसमाँ भर गया परिंदों से ,
पेड़ कोई हरा गिरा होगा ।

तेरी जन्नत से हिजरत कर रहे हैं ,
फ़रिश्ते क्या बग़ावत कर रहे हैं ।

हम अपने जुर्म का इक़रार कर लें ,
बहुत दिन से ये हिम्मत कर रहे हैं ।

वो खुद हारे हुए हैं ज़िन्दगी से ,
जो दुनिया पर हुकूमत कर रहे हैं ।

ज़मीं भीगी हुई है आँसुओं से ,
यहाँ बादल इबादत कर रहे हैं ।

मस्त- सरशार थे, कोई ठोकर लगी, आसमाँ से ज़मीं पे यूँ हम आ गये ,
शाख़ से फूल जैसे कोई गिर पड़े, रक्स आवाज़ पे झूमते- झूमते ।

आँखें आँसू भरी , पलकें बोझल घनी, जैसे झीलें भी हों नर्म साये भी हों ,
वो तो कहिए उन्हें कुछ हँसी आ गयी, बच गए आज हम डूबते- डूबते 

फूल सा कुछ कलाम और सही,
इक ग़ज़ल उसके नाम और सही ।
उसकी जुल्फें बहुत घनेरी हैं ,
एक शब का क़याम और सही ।

इश्क ने ये भी रुतबा हम को दिया ,
लोग कहते हैं मोहतरम – बाबा ।
अब तो तन्हाइयाँ भी पूछती हैं ,
है तेरा भी कोई सनम बाबा ।

अपनी खोई हुई जन्नतें पा गये, ज़ीस्त के रास्ते भूलते – भूलते ,
मौत की वादियों में कहीं खो गए , तेरी आवाज़ को ढूँढ़ते – ढूँढ़ते ।

फ़ज़ा में आयतें2 महकी हुई हैं ,
कहीं बच्चे तिलावत कर रहे हैं ।
परिंदों के ज़मीनो – आसमाँ क्या ,
वतन में रहके हिज़रत कर रहे हैं ।
ग़ज़ल की आग में पलकों के साये ,
मुहब्बत की हिफ़ाज़त कर रहे हैं ।
हमारी बेबसी की इंतहा है,
कि ज़ालिम की हिमायत कर रहे हैं ।

तू पंछी, दिल तेरा पिंजरा,पिंजरे में जा रात हुई ।
कोई हमें हाथों में उठाकर बिस्तर पे रख देता है ,
दुनिया वाले ये कहते हैं – सूरज डूबा रात हुई ।
शहर, मकाँ, दूकानों वाले सब पर्दे किरनों ने लपेटे,
ख़त्म हुआ सब खेल- तमाशा, जा अब घर जा रात हुई ।
सुर्ख सुनहरा साफ़ा बाँधे शहज़ादा घोड़े से उतरा ,
काले ग़ार का कम्बल ओढ़े जोगी निकला रात हुई ।

राहों में कौन आ गया कुछ पता नहीं,
उसको तलाश करते रहे जो मिला नहीं।

मुस्कुराती हुई धनक है वही ,
उस बदन में चमक -दमक है वही ।
फूल कुम्हला गये उजालों के ,
साँवली शाम में नमक है वही ।

जिसमें अपनी परिंदों से तसबीह थी ,
तुमको स्कूल की वो दुआ याद है?
ऐसा लगता है हर इम्तिहाँ के लिए,
ज़िन्दगी को हमारा पता याद है ।

ज़हन में तितलियाँ उड़ रहीं हैं बहुत,
कोई धागा नहीं बाँधने के लिए ।
एक तस्वीर ग़ज़लों में ऐसी बनी,
अगले -पिछले ज़मानों के चेहरे लिए ।

मेरे हाथों की इन लकीरों में ,
मेरी महरूमियाँ चमकती हैं ।

शे र मेरे कहाँ थे किसी के लिए ,
मैंने सब कुछ लिखा है तुम्हारे लिए ।
अपने दुख – सुख बहुत खूबसूरत रहे,
हम जिये भी तो इक – दूसरे के लिए ।
हमसफ़र ने मेरा साथ छोड़ा नहीं ,
अपने आँसू दिये रास्ते के लिए ।

इक गुलाबी- गुलाबी काग़ज़ पर,
आज भी तितलियाँ चमकती हैं ।

घर में इक रोशनी सी होती है,
काँच की चूड़ियाँ चमकती हैं ।

ख़त में बारीकियाँ चमकती हैं ,
फूल सी उँगलियाँ चमकती हैं ।

मेरा हँसना ज़रूरी हो गया है,
यहाँ हर शख़्स संजीदा बहुत है ।

मैं इक लम्हे में सदियाँ देखता हूँ ,
तुम्हारे साथ इक लम्हा बहुत है ।

अब यहाँ प्यासे परिंदे आएँगे किसके लिए,
झील को सूखे हुए कितने ज़माने हो गए ।

हक़ीक़त सुर्ख मछली जानती है ,
समंदर कैसा बूढ़ा देवता है ।

बर्फ़ सी उजली पोशाक पहने हुए पेड़, जैसे दुआओंमें मसरूफ़ हों ,
वादियाँ पाक मरियम का आँचल हुईं, आओ सज्दा करें, सर झुकायें कहीं ।

चाहे कोई मौसम हो , दिन गई बहारों के फिर से लौट आयेंगे ,
एक फूल की पत्ती , अपने होंठ पर रखकर मेरे होंठ पर रख दो ।

मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन ,
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा ।
मेरे हाथों की इन लकीरों में ,
मेरी महरूमियाँ चमकती हैं ।

दुनिया के सारे शहरों का कल्चर यक्साँ,
आबादी , तन्हाई बनती जाती है ।
सीने से लगके काटता रहता है रात- दिन ,
दरिया का नर्म मिट्टी से क्या इख़्तलाफ़ है ।

मेरे सीने में कोई साँस चुभा करती है ,
जैसे मज़दूर को परदेस में घर याद आये।

गुज़ारे हमने कई साल ऐसे दफ़्तर में ,
कुँआरी लड़की रहे जैसे गैर के घर में ।

उनसे कहना कि मैं पैदल नहीं आने वाला ,
कोई बादल मुझे कांधे पे बिठा के ले जाये ।

मैं घर से जब चला तो किवाड़ों की ओट में ,
नर्गिस के फूल चाँद की बाहों में छुप गए ।

आवाज़ फड़फड़ा के वहीं दफ़्न हो गयी,
सीने में ग़ालिबन कोई बिजली का तार है ।

ये रात फिर न आएगी बादल बरसने दे,
मैं जानता हूँ सुबह तुझे भूल जाऊँगा ।

सना के कोई कहानी हमें सलाती थी .
दुआओं जैसी बड़े पानदान की ख़ुशबू 

दुनिया में कहीं इनकी तालीम नहीं होती ,
दो चार किताबों को घर में पढ़ा जाता है ।

इस आलेख के द्वारा हमने हिन्दी शायरी पढ़ी । यह ग़ालिब कि शायरी आपके मन को शांति प्रदान करने का काम जरूर करेगी, अगर आपको यह शायरी पसंद आयी है तो जरूर facebook, instagram तथा whatsapp मे शेयर करे । अगर आप कीसी को प्रभावित करना चाहते तो जरूर शेयर कीजिए ।

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