125+ Best Shayari on Life
इस शायरी संग्रह मे हम shayari on life, life shayari in hindi, shayri in hindi और motivation shayari पढ़ेंगे ।
Shayari on Life

वह जो मुनसिफ़ है तो क्या कुछ भी सजा दे देगा हम भी रखते हैं ज़ुबां पहले ख़ता पूछेंगें

उजाले बाँटने वालों पर क्या गुज़रती है किसी चिराग़ की मानिन्द जल के देखूँगा

अब अगर कम भी जियें हम तो कोई रन्ज नहीं हमको जीने का सलीक़ा है यही काफ़ी है

वह मेरी हमक़दम होने न पाई जो मेरी हम सफ़र कर दी गयी है

चलो फ़लक पर कहीं मन्ज़िलें तलाश करें ज़मीं पर कुछ नहीं हासिल हसूल होने का

बहुत कठिन है मसाफ़त नई ज़मीनों की क़दम क़दम पर नये आसमान मिलते हैं

आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अज़मत हम चिराग़ों का भी उतना ही अदब करते हैं

हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मन्ज़र सितारे धूप पहन कर निकलने लगते हैं

बुझ गये चाँद सब हवेली के जल रहा है चिराग़ मुफ़लिस का

भूल जाना उसे आसान नहीं याद रखना भी हुनर है उसको
life shayari in hindi
चाँद को हमने कभी ग़ौर से देखा ही नहीं उससे कहना कि कभी दिन के उजालों में मिले
सारे बादल हैं उसी के वो अगर चाहे, तो
मेरे तपते हुए सेहरा को समन्दर कर दे
फिर ख़ुदा चाहे तो आँखें ले ले
बस मेरा ख़्वाब मुकम्मल हो जाये
हम ठहरे बंजारे हम बंजारों को
दरवाज़ों और दीवारों से क्या लेना
हो फ़ुर्सत तो हमारे दुःख भी बाँटे ज़रा देखो ख़ुदा क्या कर रहा है
अब उसकी ठोकरों में ताज होंगे वो सारी उम्र नंगे सर रहा है
यूँ लम्हा लम्हा सहारों का क़र्ज़दार न कर गिराना है तो गिरा दे सँभालता क्यूँ है
यहाँ तो चारों तरफ़ कोयले की खानें हैं बचा न पायेगा कपड़े सँभालता क्यूँ है
ज़िन्दगी एक अधूरी तस्वीर मौत आए तो मुकम्मल हो जाये
है आसमां से बुलन्द उसका मर्तबा जिसको शर्फ़ है आप के कदमों की धूल होने का
बुलन्दियों के सफर में ये ध्यान आता है ज़मीन देख रही होगी रास्ता मेरा
मैं जंग जीत चुका हूँ मगर ये उलझन है अब अपने आप से होगा मुक़ाबला मेरा
मैं उस मुहल्ले में एक उम्र काट आया हूँ जहाँ पर घर नहीं मिलते मकान मिलते हैं
जब भी दुनिया को छोड़ना चाहा मुझसे आकर लिपट गई दुनिया
ये तेरी पीठ है ऐ मेरे बेख़बर दुश्मन मगर मुझे तेरे सीने पर वार करना है
ये शहर वो है जहाँ राक्षस भी रहते हैं
दुआ माँगेगें कब तक आसमां से ज़मीं कब मोअतबर होगी हमारी
तुझे क़बीले के क़ानून तोड़ने होंगे मुझे तो सिर्फ़ तेरा इन्तिज़ार करना है
इक नई मस्जिद बनाना चाहते हैं शहर में तेरे कूचे का कोई पत्थर उठा ले जायेंगे
मेरे दुश्मन की कोई बात तो सच हो जाये आ मेरे दोस्त किसी दिन मुझे धोका दे दे
अब तेरी बारी है, आईने बचाले अपने मेरे हाथों में जो पत्थर है तेरे नाम का है
बैठे हुए हैं क़ीमती सोफों पे भेड़िये जंगल के लोग शहर में आबाद हो गये
जिसने कुछ देखा न हो गाँव के पनघट के सिवा उसको दरिया भी समन्दर की तरह लगता है
मेरी ग़ज़ल से बना ज़हन में कोई तस्वीर सबब न पूछ मेरे देवदास होने का
बहुत काँटों भरी दुनिया है लेकिन गले का हार होती जा रही है
वो इक इशारे पे दुनिया ख़रीद सकते हैं जो सूरतों से बहुत ही ग़रीब लगते हैं
मुझसे दिल का हाल कोई कब पूछता है ग़ज़लों की फ़रमाईश होती रहती है सारी फ़ितरत तो नक़ाबों में छिपा रक्खी थी सिर्फ़ तस्वीर उजालों में लगा रक्खी थी
जब भी कोई इनआम मिला है, मेरा नाम भी भूल गये जब भी कोई इल्ज़ाम लगा है, मुझ पर लाकर ढोल दिया
अब तो सेहरा, और समन्दर के लिये हैं बारिशें खेतियाँ जितनी थीं उन पर कारखाने लग गये
तू जो चाहे तो तेरा झूठ भी बिक सकता है शर्त इतनी है कि सोने का तराज़ू रखले
मैं परबतों से लड़ता रहा और चन्द लोग गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गये
जब भी दुनिया को छोड़ना चाहा मुझसे आकर लिपट गई दुनिया
मेरी ग़ज़लों ने ये एज़ाज़ दिया है मुझको मेरे दुश्मन भी मेरे चाहने वालों में मिले
तुमको राहत की तबीयत का नहीं अंदाज़ा वो भिकारी है मगर माँगो तो दुनिया दे दे
यहाँ तो मौत का सैलाब आता रहता है बहुत बचा था, मगर अब के बार मैं भी
न जाने किस के मुक़द्दर में वो लिखा होगा मगर ये सच है कि उम्मीदवार मैं भी हूँ
तेरा एहसान है जितनी भी मयस्सर कर दे हाँ मगर इतनी हो साक़ी के गला तर कर दे
जिसने कुछ देखा न हो गाँव के पनघट के सिवा उसको दरिया भी समन्दर की तरह लगता है
अपनी काग़ज़ की हवेली भीगने से बच गई अक्लमन्दी की, कि मौसम का इशारा पढ़ लिया
वो इक इशारे पे दुनिया ख़रीद सकते हैं जो सूरतों से बहुत ही ग़रीब लगते हैं
बहुत काँटों भरी दुनिया है लेकिन गले का हार होती जा रही है
ये हवाएँ कब निगाहें फेर लें किसको ख़बर शोहरतों का तख़्त जब टूटा तो पैदल कर दिया
अब उसकी ठोकरों में ताज होंगे वो सारी उम्र नंगे सर रहा है
जब भी कोई इनआम मिला है, मेरा नाम भी भूल गये जब भी कोई इल्ज़ाम लगा है, मुझ पर लाकर ढोल दिया
चेहरों के लिए आईने क़ुर्बान किए हैं इस शौक़ में अपने बड़े नुक़सान किए हैं
हो फ़ुर्सत तो हमारे दुःख भी बाँटे ज़रा देखो ख़ुदा क्या कर रहा है
मैंने दिल देकर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा उसने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया
अब ग़म आयें, ख़ुशियाँ आयें, मौत आये या तू आये मैंने तो बस आहट पाई और दरवाज़ा खोल दिया
कहाँ गुज़ारी हैं सासें जवाब माँगेगा वो जब भी हमसे मिलेगा हिसाब माँगेगा अपने रस्ते बनाए ख़ुद मैंने मेरे रस्ते से हट गई दुनिया
सफ़र में जितना मज़ा है, वो मंज़िलों पे कहाँ मैं इस दफ़ा तो बहुत दूर जाके लौट आया पीली पीली फ़सलें देख के खेतों में
अपने घर का खाली बर्तन याद आया
अब ग़म आयें, ख़ुशियाँ आयें, मौत आये या तू आये मैंने तो बस आहट पाई और दरवाज़ा खोल दिया मेरी ग़ज़ल से बना ज़हन में कोई तस्वीर सबब न पूछ मेरे देवदास होने का
कहाँ गुज़ारी हैं सासें जवाब माँगेगा वो जब भी हमसे मिलेगा हिसाब माँगेगा प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं जानूँ वर्ना तू समन्दर है तो होगा मेरे किस काम का है
motivation shayari
शाद रखे, आबाद रखे, रब्बा तेनु हो रब्बा तेनु…
माहिया… रीत यही जग की …
दुल्हन बनी है बन्नी आज बन्नो शहज़ादी आई रुत आई, रुत आई आज मुरादाँ दी छेती छेती मेहंदी लांवा… सोणा सोणा चुड़ा पांवा
उस आदमी को बस एक धुन सवार रहती है बहुत हसीं है ये दुनिया इसे ख़राब करूँ अपने रस्ते बनाए ख़ुद मैंने मेरे रस्ते से हट गई दुनिया
हम तुमसे मोहब्बत करते हैं, करते नहीं तो मर जाते ए जान ए तमन्ना हम तुम पर मरते नहीं तो मर जाते प्रेम अगन, ये ही है प्रेम अगन…
सौ फूल खिले जब ये खिला रूप सुनहरा सौ चाँद बने जब ये बना चाँद सा चेहरा इतना भी कोई प्यार की राहों में ना गुम हो बस होश है इतना के मेरे साथ में तुम हो धड़कन है कहीं, दिल है कहीं, जान कहीं है तुम जान हो मेरी तुम्हें मालूम नही है
कब मेरा हाल ए दिल, पूछोगे तुम सनम इस इंतज़ार में मर ही न जाएँ हम…
आजा आजा, आजा निकल न जाये दम…
ढलने लगी है रात कोई बात कीजिये बढ़ने लगी है बात कोई बात कीजिये है जिंदगी का साथ कोई बात कीजिये कट जाएगी ये रात कोई बात कीजिये
जाने तन्हाई हमसे क्या कर रही है दिल की गहराई हमसे क्या कह रही है एक एक पल के साथ- कोई बात कीजिये बन कर रहेगी बात कोई बात कीजिये
बात सुन सुन के बात भी मुस्कुराए यूँ सादगी के साथ, कोई बात कीजिये बन कर रहेगी बात, कोई बात कीजिये
पिघलेंगे हम तुम इस चाँदनी में, कब तक घुलेंगे बदन, प्यासा है दिल, प्यासी ये रुत है, चुभने लगीं हैं किरण गुनगुनाती है क्या जवानी सुनेंगे
आँखों आँखों में हर कहानी सुनेंगे
होंठों पे रख के हाथ कोई बात कीजिये
बन कर रहेगी बात, कोई बात कीजिये
ये होंठ ये पलकें ये निगाहें ये अदाएं मिल जाये ख़ुदा मुझको तो में ले लूँ बलाएँ दुनिया का कोई ग़म भी मेरे पास ना होगा तुम साथ चलोगे तो ये एहसास ना होगा आकाश है पैरों में हमारे के ज़मीं है तुम जान हो मेरी तुम्हें मालूम नही है ऐसा कोई महबूब ज़माने में नही है क्या चीज़ हो तुम ख़ुद तुम्हें मालूम नही है
तुम पहला प्यार हमारा हो, हम दे दें जान इशारा हो हम इतनी मोहब्बत रखते हैं, सौ जनम भी कम पड़ सकते हैं किरणों सी चमकती रहती हो, तुम मुझमें धड़कती रहती हो दिल में जो प्यार है तुम्हारा, मोम नहीं वो है अंगारा इस आग में जलते रहते हैं, जलते नहीं तो मर जाते ए जान ए तमन्ना हम तुम पर मरते नहीं तो मर जाते प्रेम अगन, ये ही है प्रेम अगन…
मोम की गुड़िया थी, वो मुझको पत्थर बना गया… जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा गया मैं फूलों की डाली थी, मैं पुजा की थाली थी मेरे भी कुछ सपने थे, मेरे भी कुछ अपने थे सारे सपने चूर हुये, सारे अपने दूर हुये चोर चोर…
चैन से मैं सोई थी, मेरी नींदें उड़ा गया
जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा गया
अब दिल वालों की बारी है, ख़ुद मौत भी हमसे हारी है, अब रंग ही रंग तुम्हारा है, अब हर पल संग तुम्हारा है तुम किस्मत मेरी बाहों की, तुम मंज़िल मेरी राहों की साँसों पे तुम्हारा पहरा है, आँखों में तुम्हारा चेहरा, ये चेहरा पढ़ते रहते हैं, पढ़ते नहीं तो मर जाते ए जान ए तमन्ना हम तुम पर मरते नहीं तो मर जाते प्रेम अगन, ये ही है प्रेम अगन…
दिल धड़कता है कब आँख मिलती है जब आँख मिलती है कब वक़्त आता है जब
गर्म सांसें हुईं, जिस्म जलता है क्यूँ बेवजह रात दिन, दिल मचलता है क्यूँ आँख से आँख की बात होती है जब हर गली रास्ता, रूठ जाता है तब
इन अँखियों में जाये कैसे कजरा रे… इनमें कोई बसता जिस रस्ते पे जाये ले के साजन रे… वो है मेरा रस्ता कोई मिलता है, कोई बिछड़ता है… कैसा है ये रिश्ता… माहिया… रीत यही जग की …
पल दो पल अब इस आँगन में, तेरा और ठिकाना बाबुल की ये नगरी तुझको छोड़ के होगा जाना…
जिन गलियों में मैनें गुज़ारा है, बचपन हँसता गाता उस आँगन से उस दरवाज़े से छूट रहा है नाता कोई बताये तो, कोई समझाये तो… दिन ये क्यूँ है आता… माहिया… रीत यही जग की….
चाँद… ख़ुद में ना हो जाये गुम
जान… जाने कब आओगी तुम
कब तक चलें इस आग पर – मैं और मेरी दीवानगी
जान… जाने कब आओगी तुम
कभी ये भी सोचा कभी ये भी जानाके मर मर के ज़िंदा हैं हम
कब मेरा हाले दिल, पूछोगे तुम सनम…
उठने लगा, दिल से धुआं… जलने लगीं, तन्हाइयाँ इक रात में, अब साथ हैं मैं और मेरी परछाइयाँ पागल हवा, पागल समां, लगने लगा दुश्मन जहां… मेरे ख़्वाब चुन लो, सज़ा मेरी सुन लो
तुम्हें जिंदगी की क़सम
कब मेरा हाल ए दिल, पूछोगे तुम सन
जाने वो कैसा चोर था, दुपट्टा चुरा गया
निंदिया जो उलझी ज़रा ज़रा, चक्कर वो चला गया चोर चोर…
खोई थी में यादों – ख़ुद अपने ही ख्वाबों में मेरा दुपट्टा नीला था – चोर बहुत ज़हरीला था कैसे कहूँ क्या बीत गया- दुश्मन मुझसे जीत गया चोर चोर…
ऐसी वैसी बात नहीं, छोटी मोटी बात नहीं
ये तो मोहब्बत है, ये ही इबादत है…
आँखों के रस्ते से दिल में उतर कर … दिल खो जाता है…
नींद उड़ जाती है, प्यार हो जाता है…
कभी ये प्यार है रेशम, कभी ख़ुशबु, कभी मौसम
कभी शोला, कभी शबनम …कहीं सरगम कहीं संगम, कहीं प्रीतम कहीं हमदम
किसी से तुम किसी से हम…
चाहत के रिश्ते का जो नाम रख दो वही हो जाता है
आँखों के रस्ते से दिल में उतर कर … दिल खो जाता है…
नींद उड़ जाती है, प्यार हो जाता है…
धड़क उठता है दिल छूम छुम, ज़ुबां चुप चुप, नज़र गुम सुम
ये चाहत की निशानी है …इसे आँखें सुनाती हैं, इसे आँखें समझती हैं
ये आँखों की कहानी है…
बाहों की राहों में कोई दीवाना जब खो जाता है
आँखों के रस्ते से दिल में उतर कर … दिल खो जाता है…
नींद उड़ जाती है, प्यार हो जाता है….
ऐसी वैसी बात नहीं, छोटी मोटी बात नहीं
ये तो मोहब्बत है, ये ही इबादत है…
ये दिल कह रहा है धड़कते धड़कते वो आएंगे एक दिन तड़पते तड़पते हमारे हैं वो उनको पा के रहेंगे
अगर मिल न पाये तो हम छीन लेंगे तो हम छीन लेंगे – तो हम छीन लेंगे हम कुछ नहीं उनके बिना मरते हैं हम जिनके लिए कैसे चले उनको पता दिल ही अगर एक दर्द हो तो क्या करें दिल की दवा
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